BA Semester-1 History - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :325
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2628
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर


4
मगध साम्राज्य का उत्थान

(Rise of Magadh Empire)


प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

अथवा

बिम्बिसार से चन्द्रगुप्त मौर्य तक एक साम्राज्य के रूप में मगध के इतिहास पर प्रकाश डालिए।

अथवा

 600 ई.पू. में मगध के उत्कर्ष का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

अथवा

मगध साम्राज्य पर एक विस्तृत लेख लिखिए।

अथवा

नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिये।


सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. बिम्बिसार के हर्यक वंश के होने के पक्ष में तर्क दीजिए।
2. बिम्बिसार की प्रशासन व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।
3. अजातशत्रु कौन था? व्याख्या कीजिए।

अथवा
अजातशत्रु के विषय में आप क्या जानते है?
अथवा
अजातशत्रु कौन था?
4. अजातशत्रु पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
5. बिम्बिसार पर एक लेख लिखिए।
6. बिम्बिसार कौन था? वर्णन कीजिए।
8. नन्द वंश पर एक लेख लिखिये।

अथवा
नन्द के इतिहास की जानकारी दीजिये।
9. नन्द वंश के पतन के कारण लिखिए।
10. नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन का उल्लेख कीजिए। 
11. महापद्मनन्द की उपलब्धियों का विवरण दीजिए। 
12. शनैः-शनै किस प्रकार मगध साम्राज्य का उत्कर्ष हुआ? स्पष्ट कीजिए।
13. मगध के क्रमश: उत्तरोत्तर विकास को सुस्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

मगध का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। इसका महत्व महाभारत काल से रहा है। यह स्थान राजनीतिक एवं धार्मिक क्रान्तियों के प्रमुख केन्द्र के रूप में रहा है। यहाँ पर गुप्त और मौर्य जैसे शक्तिशाली वंशो का उद्भव और पराभव हुआ। मगध राज्य वर्तमान बिहार राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित पटना और गया जिलो में है। इसके उत्तर-पश्चिम मे गंगा और सोन नदियाँ हैं तथा दक्षिण में विन्ध्य और उत्तर में चम्पा नदी है। प्राचीनकाल में इसे कुशाग्रपुर राजगृह, मगधपुर आदि नाम से पुकारते थे।

ऋग्वेद और अथर्ववेद से भी मगध की प्राचीनता पर प्रकाश पड़ता है इसके साथ ही साथ यजुर्वेद में मगध के भाटों का उल्लेख प्राप्त होता है।

डा. एच. सी. राय चौधरी के अनुसार, "मगध का प्राचीन राजवंशीय इतिहास अन्धकारपूर्ण है। कहीं-कही योद्धा और कही राजनीतिज्ञ दिखाई दे जाते हैं जिनमें से कुछ तो बिल्कुल काल्पनिक थे और कुछ वास्तविक नेता प्रतीत होते है। वास्तविक इतिहास हर्यक वंशी बिम्बिसार से आरम्भ होता है।"

मगध साम्राज्य का संस्थापक वंश
(Founder Dynasty of Magadh Empire)

मगध साम्राज्य के संस्थापक बृहद्रथ वंश के विषय में विस्तृत जानकारी निम्नलिखित साक्ष्य से होती है -

महाभारत एवं पुराण - इन दोनों ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि मगध साम्राज्य की स्थापना बृहद्रथ ने की थी जो जरासन्ध का पिता और वसु का पुत्र था। रामायण के अनुसार गिरिब्रज की स्थापना वसुमति ने स्वयं की थी। यद्यपि पुराणों में मगध वश के राजाओ की जो सूची दी गई है वह कालक्रम तथा राज्यों के क्रम से ठीक नहीं है। परन्तु पुराणो से यह बात प्रमाणित हो जाती है कि पुणीक पुत्र प्रद्योत के अवन्ति के राजा बनने पर मगध से बृहद्रथ वंश समाप्त हो गया था। इसके समाप्त होने की अन्तिम तिथि छठी शताब्दी ईसा पूर्व है।

बिम्बिसार (Bimbisar)

मगध सम्राट बिम्बिसार के वंश के विषय में विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है। इसके विषय में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं -

1. शिशुनाग वंश- पुराणों मे शिशुनाग का उल्लेख प्राप्त होता है। इसी ने शिशुनाग वंश की स्थापना की और इसके उत्तराधिकारियों में काकवर्ण, नन्दीवर्धन, क्षामोजस, बिम्बिसार, अजातशत्रु दर्शक. नन्दीवर्धन तथा महानन्दन थे। मत्स्य पुराण के आधार पर इस वंश के राजाओं ने 360 वर्ष राज्य किया।

आलोचना- डा. वी. ए. स्मिथ के अनुसार, "पुराणों में दिये गये शिशुनाग वंश के कालक्रम को स्वीकार करते हैं लेकिन पुराणों में दी गई राज्यकाल की अवधि को स्वीकार नहीं करते।

अश्वघोष- के अनुसार, बिम्बिसार हर्यक वंश का था. शिशुनाग वंश का नहीं।"

2. हर्यक वंश - ईसा के पूर्व पंचवी और छठी शताब्दी में मगध का सिहासन पुराण प्रसिद्ध शिशुनाग राजाओं के अधिकार में था। पुराणो की सूची के अनुसार वह पहला राजा था। बौद्ध लेखकों ने राजाओ की सूची में शिशुनाग का नाम बहुत पीछे रखा है और वे उस वंश को दो हिस्सों में बाटते हैं। प्रमाण के अनुसार केवल दूसरा हिस्सा जिसमें शिशुनाग और उसके पुत्र तथा पौत्र है वही शिशुनाग वंश है।

हर्यक वंश के विषय में निम्नलिखित तर्क दिये जाते हैं -

1. महावंश के अनुसार शिशुनाग स्वयं एक वंश का संस्थापक था और वह बिम्बिसार के बाद पदारूढ़ हुआ।

2. पुराणों के अनुसार शिशुनाग प्रद्योतों की कीर्ति को समाप्त करेगा। प्रद्योत बिम्बिसार का समकालीन था। उक्त विचार यदि वायुपुराण का ठीक है तो शिशुनाग का काल चण्ड प्रद्योत के बाद होगा क्योंकि प्रद्योत और बिम्बिसार समकालीन थे।

3. बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु ने वैशाली की सर्वप्रथम विजय की थी। पाली के उद्धरणों के अनुसार शिशुनाग ने वैशाली को अपनी राजधानी बनाया था। अतः स्पष्ट है कि शिशुनाग के पूर्व अजातशत्रु हुआ। इस प्रकार बिम्बिसार के पहले शिशुनाग नहीं हो सकता।

4. शिशुनाग द्वारा राजगृह छोड़ देने पर उसकी अवनति प्रारम्भ हो गयी थी। यह उल्लेख पाली ग्रन्थ महालंकारवत्थु से प्राप्त होता है। जैसाकि विदित है कि बिम्बिसार और अजातशत्रु के समय में राजगृह अपनी उन्नति के शिखर पर थी। अतः शिशुनाग इन दोनों के पूर्व नही हो सकता

5. शिशुनाग के पुत्र कालाशोक ने पाटलिपुत्र की स्थापना की थी परन्तु यह राजा मगध सम्राट बिम्बिसार के पूर्व का था तो उस समय पाटलिपुत्र का कोई निशान नही था जबकि पाटलिपुत्र की स्थापना बिम्बिसार के वंशज दाथिन ने की थी।

अतः स्पष्ट है कि बिम्बिसार हर्यक वंश का था न कि शिशुनाग वंश का। डा. आर. के. मुकर्जी भी बिम्बिसार को हर्यक वंश का सिद्ध करते हैं।

डा. भण्डारकर के अनुसार, "बिम्बिसार प्रारम्भ में एक सेनापति था परन्तु उसने वज्जियों को परास्त करके अपना एक स्वतन्त्र राज्य तथा नवीन वंश की स्थापना की थी। परन्तु यह कथन समीचीन नहीं प्रतीत होता है क्योंकि महावंश के अनुसार बिम्बिसार के पिता ने 15 वर्ष की आयु में उसका राजतिलक किया था।

टर्नर तथा एन. एल. के अनुसार- बिम्बिसार के पिता का नाम पट्टीय था। तिब्बत वासी महापद्म और पुराण उसे क्षेनजित तथा सात्रोज कहते थे। परन्तु वास्तविक नाम के अतिरिक्त एक अन्य नाम श्रोणिक भी था।

वैवाहिक सम्बन्ध- बिम्बिसार एक महत्वाकांक्षी शासक था। उसने वैवाहिक सन्धियों और विजय की अपनी नीति से मगध के मान और यश को बढ़ाया। उसकी एक रानी कौशल के राजा प्रसेनजित की बहिन थी। दहेज के रूप में उसे काशी में एक गाँव मिला था। इस गाँव से एक लाख रुपये की आमदनी प्राप्त होती थी।

बिम्बिसार ने लिच्छवि राजा चेटक की पुत्री चेल्लना से विवाह किया था। उससे मित्रता करने के फलस्वरूप उसे नेपाल तक साम्राज्य विस्तार करने का अवसर प्राप्त हुआ।

मगध सम्राट बिम्बिसार द्वारा मद्रदेश के राजा की राजकुमारी खेमा से विवाह का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रन्थ महाबग्ध के अनुसार बिम्बिसार की 500 रानियां थीं।

बिम्बिसार ने इस कूटनीतिक विवाहों के द्वारा अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया जिसके  फलस्वरूप उसे अपना साम्राज्य स्थापित करने में अपार सहायता मिली।

बिम्बिसार के पुत्र- जैन लेखकों के अनुसार बिम्बिसार के पुत्र थे - अजातशत्रु हल्ल, वेहतल, क्षभय, नदीसेन और वेधकुमार। पहले तीन पुत्र चेटक की पुत्री चेल्लना के और चौथा लिच्छिवि आम्रपाली का पुत्र था। बौद्ध ग्रन्थो के लेखक बिम्बिसार के पुत्रों में अजातशत्रु, विमल कोण्डना, बेहल्ल और शीलवर्त को बतलाते हैं।

बिम्बिसार को अपने-अपने पुत्रों से पर्याप्त कष्ट प्राप्त होने का भी उल्लेख प्राप्त होता होता है।

साम्राज्य विस्तार - बिम्बिसार ने अपना साम्राज्य काफी दूर तक बढ़ाया था।

तक्षशिला - तत्कालीन स्थिति में तक्षशिला का राजा अपने शत्रुओं से घिरा हुआ था। उसने अपना दूत भेजकर बिम्बिसार से सहायता की प्रार्थना की। बिम्बिसार ने राजदूत का स्वागत तो किया पर किसी भी प्रकार की सहायता का वचन नहीं दिया। अतः इससे सिद्ध होता है कि बिम्बिसार तत्कालीन परिस्थितियों में पड़कर अपना साम्राज्य बढ़ाना चाहता था।

आवन्ति पर आक्रमण - बिम्बिसार ने अवन्ति राज्य पर आक्रमण कर उसके राजा खेमचन्द को पराजित किया। दीर्घ निकाय और महाबग्ग से अग विजय की पुष्टि होती है। अंग विजय से बिम्बिसार की कीर्ति में चार चाँद लग गये।

काशी - वैवाहिक सम्बन्ध द्वारा काशी उसे प्राप्त हुआ था। वह भी प्रसिद्ध तथा सम्पत्तिशाली गाँव था जिससे उसे लाखों रुपये की आय होती थी। अतः काशी मिल जाने से उसका यश काफी बढ़ गया।

बिम्बिसार के राज्य का क्षेत्रफल - मगध साम्राज्य में 80,000 गाँव थे जिनका क्षेत्रफल 2700 वर्ग मील के लगभग था। बौद्ध ग्रन्थ के अनुसार साम्राज्य विस्तार 300 योजन था।

राजधानी - बिम्बिसार ने मगध की राजधानी के रूप में गिरिब्रज को चुना था। इस पर प्राय: वग्जियों के आक्रमण हुआ करते थे। एक बार वशियों के राज्य में आग लगने के कारण कई ग्राम नष्ट हो गये थे। बिम्बिसार ने इस संकट की मुक्ति के लिए इसके उत्तर में राजगृह नामक नगर की स्थापना कर उसे अपनी राजधानी बनाया तथा बाद में वजिसघ से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर शत्रुता का अन्त किया।

प्रशासन व्यवस्था
(System of Administration)

बिम्बिसार का प्रशासन बहुत ही उत्तम था। वह अपने कर्मचारियों पर कड़ी नजर रखता था। वह कार्यकुशल कर्मचारियों को पुरस्कार तथा अयोग्य कर्मचारियों को दण्ड देता था।

पदाधिकारियों की नियुक्ति - उसने अपने कार्य को सरल तथा प्रशासन को दृढ़ बनाने के लिए पदाधिकारियों की नियुक्ति की। उसके उच्चधिकारी 'राजभट' चार श्रेणियों में विभक्त थे जिन्हें सेनापति, सेनानायक महामात्र तथा उपराजा आदि कहा जाता था।

ग्राम व्यवस्था-  ग्रामो की व्यवस्था का भार ग्रामिणी पर होता था जो सारी ग्रामीण व्यवस्था की देखभाल करता था। बौद्ध ग्रन्थ महावग्ग के अनुसार समस्त ग्रामों के ग्रामिक अथवा ग्रामिणी उसकी सभा में उपस्थित हुआ करते थे।

न्याय व्यवस्था - बिम्बिसार अपराधियों को तत्काल दण्ड देता था। उसके दण्ड विधान अत्यन्त कठोर थे। अपराधियो को कैद की व्यवस्था और अपराधियों को कोडे मारना, छापा लगाना, फाँसी देना, पसलियाँ तोडना और जीभ काटना आदि दण्ड दिये जाते थे।

प्रान्तों की स्वायत्तता- बिम्बिसार के प्रान्तों को पर्याप्त मात्रा में स्वतन्त्रता प्रदान की। उसने युवराजों को प्रान्तों का अधिकारी बनाया गया, प्रशासनिक कार्यों में पुत्रों से सहयोग लिया। इसके अधीनस्थ मण्डलीय राजाओं का भी उल्लेख प्राप्त होता है।

प्रजाहितार्थ कार्य - बिम्बिसार ने अपने राज्य के 80 हजार ग्राम प्रमुखों की सभा बुलाकर ग्रामीण समस्याओं और उनके निराकरण पर विचार-विमर्श किया। फलस्वरूप यातायात के साधनों को सुधारा गया और कुशाग्रपुर के जल जाने के बाद नये राजप्रासाद का निर्माण कराया गया।

बिम्बिसार का धर्म - बिम्बिसार एक सहिष्णु सम्राट था। महात्मा बुद्ध उसके मित्र थे। स्वत भगवान बुद्ध अपना धर्म प्रचार करते हुए मगध आये। बिम्बिसार ने वैणुवन भगवान बुद्ध (अर्थात् बौद्ध संघ) को दान कर दिया था। जैन ग्रन्थ उत्तर ध्यानसूत्र के अनुसार महावीर स्वामी से भण्डीकुक्षी चैत्य में अपनी रानियों, कर्मचारियो एवं सम्बन्धियों सहित भेंट करने गया और उनका अनुयायी बन गया। ब्राह्मणों के अनुसार बिम्बिसार वैदिक धर्म का अनुषायी था।

विद्या और कला - उसकी राजसभा में जीवन नामक वैद्य का उल्लेख प्राप्त होता है जिसने तक्षशिला में शिक्षा प्राप्त की थी। वह आयुर्वेद की कौमार भृत्य शाखा का विशेषज्ञ था। इसके अतिरिक्त बिम्बिसार ने कला के क्षेत्र में राजगृह के कई भवनों को कलात्मक ढंग से निर्माण कराया था। तत्कालीन कला विशेषज्ञ जिसने राजगृह में राजप्रसाद को कलात्मक ढंग से निर्मित किया था उसका नाम महागोविन्द प्रसाद था।

शासनावधि - महावंश के अनुसार बिम्बिसार ने 52 वर्ष राज्य किया था जिसे प्रमाणित माना गया है। डा. आर. के. मुकर्जी उसका राज्य काल 603 ई. पू. से 551 ई. पूर्व तक निश्चित करते है। डा. स्मिथ के अनुसार इसने 582 ई.पू. के 557 ई. पू. तक 28 वर्ष राज्य किया।

बिम्बिसार की मृत्यु - बिम्बिसार के दीर्घजीवी होने के कारण उसका शासन अत्यन्त लम्बा हो गया। फलस्वरूप उसका पुत्र अजातशत्रु जो महात्वाकांक्षी था अधिक दिन प्रतीक्षा नहीं कर सका। अतः उसने अपने चचेरे भाई देवदत्त के साथ षड्यन्त्र करके अपने पिता को बन्दी बना लिया। उसे अन्न और जल तक भी नहीं दिया। इस तर से बिम्बिसार की मृत्यु हो गयी। बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार यह ज्ञात होता है कि उसे अपने इस कार्य पर पर्याप्त खेद हुआ और इससे आप त्राण के लिए भगवान बुद्ध की शरण में गया जहाँ उसे शाति प्राप्त हो सकी।

अजातशत्रु (Ajatshatru)

मगध सम्राट बिम्बिसार की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अजातशत्रु गद्दी पर बैठा जिसका दूसरा नाम कणीक था। इसने 551 ई. पू. से लेकर 519 ई. पू. तक राज्य किया। इसी के राज्य काल मे हर्यक वंश अपने गौरव के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा। अपनी विजयों से अजातशत्रु ने अपने वंश की शान और यश को बढ़ाया।

साम्राज्य विस्तार
(Extension of Kingdom)

अजातशत्रु ने मगध सिंहासनारूढ़ होने के बाद अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए युद्धों को प्रारम्भ किया जिसमे उसे अपार सफलता मिली तथा साम्राज्य भी विस्तृत हुआ।

कोशल राज्य से युद्ध- कोशल राज्य की पुत्री कोशल देवी ने अपने पति बिम्बिसार की मृत्यु से दुःखी होकर अपने प्राण त्याग दिये। तत्कालीन कोशल का राजा प्रसेनजित था। कोशल देवी उसकी बहन थी। इसलिए उसने बिम्बिसार को दहेज में दिया हुआ काशी ग्राम वापस ले लिया। फलत दोनो में संघर्ष प्रारम्भ हो गया। युद्ध में कई उतार-चढ़ाव आये। एक बार कोशल के राजा को परास्त होकर राजधानी की ओर भागना पड़ा और अजातशत्रु भी इसी युद्ध में बन्दी बनाया गया। परन्तु बाद में प्रसेनजित ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से करके मित्रता स्थापित की। इस प्रकार से मगध साम्राज्य मे काशी को मिला लिया गया।

प्रमाणों के आधार पर यह भी ज्ञात होता है कि कोशलराज के सेनापति ने उसे गद्दी से हटाकर उसके उत्तराधिकारी विडुडाम को राजा बनाया। कोशलराज अपने दामाद अजातशत्रु से सहायता लेने मगध गया, पर रास्ते मे सर्दी लगने के कारण मगध के राजद्वार पर ही उसकी मृत्यु हो गयी।

वैशाली से युद्ध - वञ्जि संघ का सबसे शक्तिशाली वैशाली राज्य था। इसमें आठ गण सम्मिलित थे। इनसे मगध साम्राज्य का भय बना रहता था। बिम्बिसार ने इनसे वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया था। जैन लेखकों के अनुसार बिम्बिसर ने अपने पुत्र हल्ल और बेहल्ल को अपना हाथी शेषनाग तथा 13 लारियों वाला मोती का हार दे दिया था। ये दोनों राजकुमार वैशाली की राजकुमारी चेल्लना के पुत्र थे। अजातशत्रु जब गद्दी पर बैठा तब उसने हाथी, हार तथा राजकुमारों को लौटाने के लिए कहा परन्तु वैशाली के राजा चेतन ने इन सबको वापस करने से इन्कार कर दिया। फलस्वरूप युद्ध प्रारम्भ हो गया।

बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार मगध और वज्जि संघ के बीच गंगा नदी बहती थी। इस नदी के तट पर एक सोने की खान तथा उपयोगी बन्दरगाह था। इस पर दोनों का समान अधिकार था। परन्तु दो वर्षों तक वजि संघ इसका उपयोग कर रहा था। अतः अजातशत्रु ने अपने अधिकार की रक्षा के लिए वज्जि सघ पर आक्रमण कर दिया।

अजातशत्रु को लिच्छवियों की शक्ति का ज्ञान था। अतः उसने कूटनीति के द्वारा पराजित करने का निश्चय किया। उसने अपने ब्राह्मण मन्त्री से संघर्ष कर उसे राज्य से बाहर निकाल दिया। उसने जाकर बजि संघ में शरण ली और समय पाकर संघ में भेद पैदा कर दिया। फलतः हाथ आया देखकर अजातशत्रु ने लिच्छवियों पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में अजातशत्रु को पद्मावती ने भाग लेने के लिए उकसाया। यह युद्ध 16 वर्ष तक चलता रहा।

भगवान बुद्ध ने लिच्छवियों के बारे में कहा था कि वे तब तक अजेय हैं जब तक वे सभी गणतन्त्र की सभी शर्तें पूरी करते है जैसे- जल्दी-जल्दी करना परामर्श और नीति की एकता, अन्य परम्पराओं, संस्थाओं और पूजा आदि का पालन, वयोवृद्धों का मान, स्त्रियों, और सन्यासियों का आदर परन्तु भाष्कर "द्वारा फूट डालने के 3 वर्ष के बाद ही वैशाली को विजय कर लिया गया।

अजातशत्रु स्वयं लिच्छवियों के बारे में कहता है जोकि उसके कटु विचारों को चरितार्थ करते है - "मैं इन बजियों को जड़ से उखाड कर नष्ट कर दूंगा चाहे वे कितने भी सशक्त और बलवान हों, और. उन्हें मिट्टी में मिला दूँगा।"

अवन्ति के साथ संघर्ष -  मज्झिल निकाय से ज्ञात होता है कि अवन्ति के राजा चण्डप्रद्योत ने बिम्बिसार की मृत्यु का बदला लेने का निश्चय किया था और इस युद्ध में अजातशत्रु को अपनी राजधानी की रक्षा का प्रबन्ध करना पड़ा था। परन्तु इस युद्ध की तिथि का उल्लेख नहीं प्राप्त होता है।

अजातशत्रु के अस्त्र-शस्त्र - अजातशत्रु ने युद्धों में दो नये प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया जो निम्नलिखित थे -

1. महाशिलाकण्टक - यह एक प्रकार का अपक्षेपी था जिससे बड़े-बड़े पत्थर फेंके जाते थे।

2. रथमूसल - यह एक प्रकार का स्वचलित यन्त्र था क्योंकि यह घोड़ों और चालक के बगैर ही चलता था। शायद मध्ययुग के यन्त्रों की भाँति एक व्यक्ति इसके अन्दर छिपा रहता था और पहिए घुमाता था। इसके बारे में बड़ा ही अच्छा वर्णन होर्नल महोदय ने किया।

अजातशत्रु का धर्म - प्रारम्भ में अजातशत्रु का झुकाव जैन धर्म की ओर था परन्तु कुछ समय बाद वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया, परन्तु इस सम्बन्ध में साक्ष्यों का अभाव है। अतः उचित यही प्रतीत होता है कि इसे दोनों धर्मों से श्रद्धा थी। जैन ग्रन्थों के अनुसार वह अपनी पत्नी सहित महावीर स्वामी के दर्शन के लिए वैशाली गया था। बौद्ध ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि उसे अपने पिता की हत्या से काफी पश्चाताप हुआ था और उसने अपना अपराध महात्मा बुद्ध के सम्मुख जाकर स्वीकार किया था जिससे उसे सन्तोष प्राप्त हुआ। महात्मा बुद्ध की मृत्यु के पश्चात् जो बुद्ध सभा राजगृह के निकट सप्तपणि गुफा में हुई थी, उसका निर्माण अजातशत्रु ने ही कराया था। महापरिनिर्माण सूत्र से विदित होता है कि अजातशत्रु ने उनके कुछ अवशेषों के ऊपर राजगृह में एक स्तूप बनवाया था।

शासनावधि - बौद्ध साहित्य के अनुसार अजातशत्रु ने 32 वर्षों तक राज्य किया और पुराणों के अनुसार 15 वर्ष राज्य किया।

अजातशत्रु के उत्तराधिकारी
(Heirs of Ajatshatru )

दर्शक - पुराणों के अनुसार अजातशत्रु का निकटतम उत्तराधिकारी दर्शक था। उसने 25 वर्षों तक राज्य किया। जीजर के अनुसार, "दर्शक को अजातशत्रु का उत्तराधिकारी समझना भूल है। पालि साहित्य के अनुसार उदाही-भद्द अजातशत्रु का पुत्र था और उत्तराधिकारी भी था। दर्शक का नाम स्वप्नवासवदत्तम् नामक नाम में ही आता है। उसे कौशाम्बी के राजा उदयन का साला तथा समकालीन दिखलाया गया है। जैन लेखक और बौद्ध लेखक उसे नागदसक मानते हैं परन्तु पुराण दर्शक ही मानते

है।

डा. डी. आप. भण्डारकर दर्शक को नागदर्शक समझते हैं जिसे लंका के इतिहास में बिम्बिसार के वंश का अंतिम शासक कहा गया है क्योंकि दिव्यावदान में बिम्बिसार के वंश के राजाओ की सूची में दर्शक का नाम नहीं है।

उदयिन - पुराणों, बौद्ध-ग्रन्थों के अनुसार उदयिन अजातशत्रु का उत्तराधिकारी था। अधिकांश विद्वान इसी मत से सहमत हैं। महावंश से यह भी ज्ञात होता है कि अजातशत्रु की हत्या करके उदयिन ने सिंहासन प्राप्त किया था परन्तु जैन ग्रन्थ उसे पितृघाती नहीं मानते। डा. जायसवाल भी उसको पितृघाती नहीं मानते।

महावंश के अनुसार उदयभद्र ने 16 वर्षों तक राज्य किया। पुराणा के अनुसार उदयिन के बाद नन्दिवर्धन और महानन्दनी राजा हुए। परिशिष्टपर्वन में बताया गया है कि उदयिन का कोई उत्तराधिकारी नहीं था। दीपवंश और महावंश में अनुरुद्ध, मुण्ड और नागदर्शक को उदयिन का स्थान दिया गया है। अंगुत्तर निकाय में यह भी कहा गया है कि मुण्ड पाटलिपुत्र का राजा था। दिव्यावदान में भी मुण्ड का नाम दिया गया है।

शिशुनाग वंश
(Shishunag Dynasty)

बौद्ध साहित्य के अनुसार मगध की जनता ने पितृघाती नागदासक को शासन से च्यूत कर उसके सुयोग्य मंत्री शिशुनाग को राजा बनाया।

बौद्ध और पौराणिक लेखों मे सबसे मुख्य अन्तर शिशुनाग और काकवर्णिन के राजवंशों की सूच में दिये हुए स्थान के सम्बन्ध में है। बौद्ध लेखक उन्हें बिम्बिसार, अजातशत्रु और उदयिन के भी पीछे रखते हैं और उन्हें एक अलग वंश का बताते हैं, किन्तु पुराण उन्हे अपनी सम्पूर्ण सूची के ऊपर रखते हैं और यथार्थ में उन्हें बिम्बिसार अजातशत्रु के पूर्वज बताते हैं। पौराणिक लेख के एक विवरण के अनुसार जो उसकी सच्चाई पर सन्देह उत्पन्न कर बौद्धों के प्रमाण को स्वीकार करने को प्रेरित करता है। अवन्ति का राजा प्रद्योत और बिम्बिसार समकालीन थे परन्तु पुराणों के अनुसार "शिशुनाग उनकी सब प्रतिष्ठा को मिटा देगा और राजा होगा।" यह स्पष्टोक्ति निस्संदेह इस विचार की पुष्टि करती है कि शिशुनाग बिम्बसार और अजातशत्रु के बहुत पीछे हुआ और अवन्ति के शक्तिशाली राजा को अस्तगत कर अपनी उग्र नीति को आगे बढ़ाया।

शिशुनाग के उत्तराधिकारी- शिशुनाग के पश्चात् उसका पुत्र कालाशोक अथवा काकवर्ण मगध का राजा हुआ। सम्भव है कि वह अपने पिता के समय काशी का शासक रह चुका था। बौद्ध द्वितीय संगति भी इसके काल में हुई थी। सगति का स्थान पाटलिपुत्र था। बौद्ध साहित्य दीपवंश और महावश के अनुसार उसने 28 वर्ष तक राज्य किया था। 'हर्षचरित' के अनुसार काकवर्ण शिशुनाग की हत्या नगर के बाहर छुरा भोंक कर की गयी थी। बौद्ध साहित्य के अनुसार काकवर्ण के 10 पुत्र थे जिन्होंने क्रमश: 82 तर्ष तक राज्य किया। इनमें नन्दिवर्धन सबसे अधिक प्रसिद्ध हुआ जो एक शूद्रा का पुत्र था जिसने नन्द वंश की स्थापना की।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
  3. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
  6. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
  7. प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
  8. प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
  12. प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
  13. प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
  15. प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
  16. प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
  17. प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
  21. प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  22. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  28. प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
  30. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
  31. प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  32. प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
  35. प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
  36. प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
  37. प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  40. प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
  41. प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
  42. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  45. प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
  47. प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  48. प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
  50. प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
  52. प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
  54. प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
  57. प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
  58. प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
  60. प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
  62. प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
  63. प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  67. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  71. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  73. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
  74. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
  79. प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  81. प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  82. प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  84. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
  86. प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
  87. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  88. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  89. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  91. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  94. प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
  95. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  96. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  100. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  101. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  105. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  107. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  109. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
  110. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
  111. प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  112. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न-
  114. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
  115. प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  116. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
  117. प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
  119. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
  120. प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
  121. प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
  122. प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
  123. प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  125. प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
  126. प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
  127. प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
  128. प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
  131. प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
  132. प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
  136. प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
  137. प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
  140. प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  141. प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
  142. प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
  144. प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
  145. प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
  146. प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
  147. प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
  148. प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  149. प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  150. प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  151. प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
  152. प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
  153. प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  155. प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  156. प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
  157. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  158. प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
  160. प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- चाहमान कौन थे?
  162. प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  165. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  166. प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
  167. प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  168. प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  169. प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
  170. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  171. प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  172. प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
  173. प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
  175. प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
  176. प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
  177. प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
  178. प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  179. प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  180. प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
  181. प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
  182. प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  183. प्रश्न-
  184. प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
  185. प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
  186. प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
  187. प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
  188. प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
  189. प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
  190. प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
  191. प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  192. प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
  193. प्रश्न- हिन्दू धर्म में
  194. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
  195. प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
  196. प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
  197. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  198. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  199. प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
  200. प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
  201. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
  202. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
  203. प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
  204. प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
  205. प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
  206. प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
  207. प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  208. प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
  209. प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
  210. प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
  211. प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
  212. प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
  213. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  214. प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
  215. प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
  216. प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।

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